सुबह हुई, रात किधर गयी
अभी तोह हम मिले थे
तेरी हसीं, मेरी शरारतें
की दिल पिघल रहे थे
कहीं तोह चलते है तू और मै (उ उ)
वहीँ और रह जाते है
खाली खाली हैं बैठे
भरा भरा यह समां
तेरी आँखों में है जो मैंने
कह दिया
पारा तारा
खाली खाली हैं बैठे (बैठे)
भरा भरा यह समां (समां)
तेरी आँखों में है जो मैंने कह दिया
कहने को, कुछ भी नहीं
पर बातें रुकी नहीं है
धुप से हम छिप रहे है
अपनी अलग दुनिया में (दुनिया में)
कहीं तोह चलते है तू और मै
वहीँ और रह जाते है
खाली खाली हैं बैठे
भरा भरा यह समां (समां)
तेरी आँखों में है जो मैंने
कह दिया
पारा तारा
खाली खाली हैं बैठे
भरा भरा यह समां
तेरी आँखों में है जो मैंने
कह दिया
खाली खाली हैं बैठे
भरा भरा यह समां
तेरी आँखों में है जो मैंने
कह दिया
कहीं तोह चलते है तू और मै
कहीं तोह चलते है तू और मै
कहीं तोह चलते है तू और मै
वहीँ और रह जाते है
उ उ पारा तारा